ईमानदारी
अब कीमत चुकाती है ,
बीच सड़क पर
क़त्ल होती है वह
व्यवस्था आँख मूँद कर चली जाती है !
अब कीमत चुकाती है ,
बीच सड़क पर
क़त्ल होती है वह
व्यवस्था आँख मूँद कर चली जाती है !
ईमानदारी
अब सबको डराती है,
दिन के उजाले में भी
स्याह*अँधेरा लाती
सूरज की रोशनी शर्माकर चली जाती है !
ईमानदारी
अब कहर ढाती है,
भरे-पूरे परिवार को
जड़ से तबाह कर
सांत्वना दिलाकर चली जाती है !
ईमानदारी
सपने नहीं दिखाती है ,
किताबों में रहकर
पन्ने-पन्ने नुचकर
नारों (नालों) में बहकर चली जाती है !
….इतना होते हुए भी वह
ईमानदारी को बचाये हुए है,
भौतिकता को छोड़कर
केवल अपनी आत्मा के साथ
गठबंधन निभाए हुए है !!
विशेष: बंगलौर में शहीद हुए ईमानदार अधिकारी महंतेश को समर्पित !
बढ़िया है। मेरे खयाल से 'अब' न होता तो भी अच्छा होता।
अच्छाइयां हैं जो यूं ही नहीं मर सकतीं, आज तक नहीं मरीं यही सबूत है
केवल अपनी आत्मा के साथगठबंधन निभाए हुए है !!बहुत बढ़िया लिखा है |बूंद बूंद से सागर बनता है ….!!नेक कार्य करते चलें…शुभकामनायें.
जाती हुई ईमानदारी से बस इतना भर कहनाजाते हुए भी अपनेअवशेष छोड़ जानाइतिहास में अपने पांच अक्षर छोड जानाकल हमारे बच्चे बडे हो जाएंगेजानने और सीखनेस्कूल जब जाएंगेतब उनमें होले सेजिज्ञासा जगानाअवशेष छोड जाना।
काश! ईमानदारी थोड़ी बेईमान हो जाती , थोडा ही सही सम्मान तो मिलता …..पता नहीं ईमानदारी अछूतों की श्रेणीं में क्यों आती है ,कोई नहीं बताता …… अच्छे भाव ,व भावना …..
बात में सच्चाई हैलेकिन वे अमर हैंजिन्होने ईमानदारीआज तक बचाई है।
सच! ईमानदारी भी जब अब इमानदार नहीं रह गयी है ऐसे व्यक्तित्व प्रातः पूज्यनीय हैं !
आपसे सहमत हूँ ….
एक बढ़िया रचना ….आभार आपका !
सत्यमेव जयते नानृतम्!
जय हो!
ईमानदारी तो हमेशा डराती रही है या कठिन परिस्थितियाँ लाती रही है
कितना भी डराए , ईमानदारी को डरने की ज़रुरत नहीं .
एक मिनट के मौन" "को मेरी टिप्पणी माना जाये !
बहुत खूब कहा सुज्ञ जी.
ईमानदारी डराती है……….सावधान…मुझे भी बेईमानी समझा जा रहा है…..
श्रद्धानाजली का यह रूप, नमनीय है वह शहादत!!
ईमानदारी, सच मानिए बहुत शक्ति दे जाती हैतभी तो सच के लिए जान दे देने की हिम्मत आ जाती हैहां राह कठिन हैपर सुकून मिलता हैजब मंजिल सामने आ जाती है।
ईमानदारी सपने जगाती है, सपने सच न हो पाने का दुख भी दे जाती है।
बहुत कुछ सोंचने पर विवश करती रचना…बहुत बहुत बधाई…
बहुत खूब।
महंतेश जी को नमन !इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार – आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर – पधारें – और डालें एक नज़र – माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना
आभार शिवम भाई !
लाख मुश्किलें आयें मगर ईमानदारी मजबूत भी बनाती है !कुछ लोंग फिर भी ईमानदारी की मिसाल बनाये हुए हैं , उन्हें नमन !
इतना होते हुए भी वहईमानदारी को बचाये हुए है,भौतिकता को छोड़करकेवल अपनी आत्मा के साथगठबंधन निभाए हुए है !!…बहुत सटीक प्रस्तुति…सब कुछ सह कर भी अब भी कुछ लोग ईमानदारी का दामन पकड़े हुए हैं..
बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना….मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
और अच्छी बातों की तरह ईमानदारी भी कहीं ना कहीं जीवित है ।
सुन्दर प्रस्तुति |सही सोच |मुश्किल काम ईमानदार होना ||
ईमानदारी अगर डराती होतीतो बेईमानी डर गई होतीपर उसने कब्जा जमाया हैसब जगह कालाधन समाया हैनीयत भी सबकी साफ नहीं हैउसमें भी गंदी नाली का पानी हैबेईमानी ठाठ से ठाठें मार रही हैसाठ साल की संसद की कहानी हैदारी हो या गारी होबेईमानी की पहरेदारी हैबेईमानी के साथ गठबंधनउनका जिनकी सीरत बारी है।
अच्छे भाव…….
सभी का आभार…!ईमानदारी जिंदाबाद !
….ईमानदारी को बेईमानों की जूती बनने से बचाया जाए ….|